सेक्स से इंकार करना क्रूरता... हाईकोर्ट की इस गंभीर मामले पर यह विशेष टिप्पणी
Bilaspur High Court comment on Sex Life
सेक्स से इंकार करना क्रूरता... यह बात छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक गंभीर मामले पर सुनवाई करने के दौरान कही| दरअसल, तलाक जैसे गंभीर मामले पर बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी| इसी बीच हाईकोर्ट ने एक विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि वैवाहिक जीवन तभी स्वस्थ रह पाता है जब पति-पत्नी के बीच सेक्स संबंध बेहतर हों| पति-पत्नी में से अगर कोई भी सेक्स से इंकार करता है तो यह क्रूरता भरा व्यवहार है| यह क्रूरता के बराबर है| हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्स वैवाहिक जीवन (Sex in Marriage Life) का एक अहम हिस्सा है और वैवाहिक जीवन में इसके शामिल न होने से वैवाहिक रिश्ता चल नहीं पाता|
पूरा मामला जानिए....
दरअसल बिलासपुर के रहने वाले एक शख्स की शादी सन 2007 को बेमेतरा जिले में रहने वाली एक महिला के साथ हुई थी| लेकिन यह शादी ज्यादा दिन तक चल नहीं सकी| हुआ ये कि महिला शादी के कुछ समय बाद अपने मायके चली गई और फिर इसके बाद वहां से लौटकर ही नहीं आई| जबकि शख्स उसे लाने की पूरी कोशिश करता रहा| लेकिन महिला ने शख्स की एक न सुनी और आने से इंकार करती रही| इसके साथ ही महिला ने न आने का कारण शख्स का सुन्दर न होना बताया| वहीं, जब महिला ये सब बातें करने लगी तो फिर शख्स ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी डाल दी| मगर, यहां तलाक की अर्जी स्वीकार नहीं हुई| जिसके बाद शख्स ने बिलासपुर हाईकोर्ट का रुख किया|
हाईकोर्ट ने तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया ....
शख्स ने अपनी दाखिल तलाक याचिका में हाईकोर्ट को सारी बातें बताईं| शख्स ने बताया कि उसकी पत्नी शादी के बाद से ही उसके साथ सही आचरण नहीं कर रही थी| उसने कभी एक पत्नी के जैसा व्यवहार नहीं किया और उसे मानसिक रूप से लागातार प्रताड़ित करती रही| उसने यह भी कहा कि वो सुन्दर नहीं है, भद्दा है| फिलहाल, जब शख्स की इस तलाक याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो हाईकोर्ट ने इस दौरान कहा कि पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध ही नहीं रहा है| इससे यह निष्कर्ष भी निकलता है कि इनके बीच कोई शारीरिक संबंध भी नहीं है। बस, इसी बीच हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण है। एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है। और इस मामले में भी हमारा विचार है कि महिला ने तलाक याचिकाकर्ता शख्स के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है। हाईकोर्ट ने शख्स की तलाक याचिका को स्वीकार कर लिया|
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